Monday, December 11, 2023

इंटरनेशनल पेशेंट्स यूनियन ने भारत में मरीजों पर आधारित स्वास्थ्य सेवाओं को क्रांतिकारी बना दिया

इंटरनेशनल: द इंटरनेशनल पेशेंट्स यूनियन (आईपीयू) ने सफलतापूर्वक एक ऐसा मिशन लॉन्च किया है, जिसका फोकस मरीज़ों के लिए हेल्थकेयर को सुगम, किफायती और गुणवत्ता वाला बनाना होगा। आईपीयू का यह कदम भारत के हेल्थकेयर सेक्टर को पूरी तरह से बदलकर रख देगा। आईपीयू एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जो मरीज़ों को टॉप डॉक्टरों, पॉलिसी बनाने वालों, रेग्युलेटरों, इंडस्ट्री के लीडरों और साथी मरीज़ों से जोड़ता है। इससे मरीज़ न केवल अपने विचार आगे रख सकते हैं बल्कि नीति बनाने में योगदान देने के साथ-साथ एक-दूसरे से बीमारी का बेहतर मैनेजमेंट भी सीख सकते हैं।

इंटरनेशनल पेशेंट्स यूनियन (International Patients Union) के संस्थापक डॉक्टर राजेन्द्र प्रताप गुप्ता ने कहा, “हेल्थकेयर सेक्टर, जिसे पेशेंट्स की ज़रूरतों को देखते हुए काम करना चाहिए, हेल्थकेयर से जुड़ी बातचीत में अकसर उन्हीं की आवाज़ को नज़रदांज़ कर देता है। अगर हेल्थकेयर सेक्टर की बात करें, तो डॉक्टर और यह इंडस्ट्री तो ऑर्गनाइज्ड है, लेकिन पेशेंट्स अब भी अनऑर्गनाइज्ड ही हैं। आईपीयू इसी सोच के साथ बनाया गया है कि मरीज़ों को भी यहां अपनी बात रखने का मौका मिल सके। आईपीयू इस बात का भरोसा दिलाता है कि अब हेल्थकेयर सेक्टर प्रोवाइडर-सेंट्रिक (प्रदाता-केन्द्रित), प्रोसीज़र-ड्रिवन (प्रक्रिया संचालित) होने की बजाय मरीज़ों पर आधारित, परिणाम देने वाला बनाया जाए।”

आईपीयू को ऑफिशियली 6 अप्रैल 2023 को भारत की सबसे पहली पेशेंट्स कॉन्फ्रेंस के दौरान नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) में लॉन्च किया गया। इस कॉन्फ्रेंस में कई प्रमुख स्पीकरों ने अपनी बात रखी, जिनमें डॉक्टर राजीव रघुवंशी, डॉक्टर पेम नामग्याल, प्रोफेसर (डॉक्टर) ममता भूषण सिंह, डॉक्टर आर.के. श्रीवास्तव, डॉक्टर नीरज ए.शर्मा, डॉक्टर देवी शेट्टी, लेफ्टिनेंट जनरल (डॉक्टर) संजीव चोपड़ा (रिटायर्ड), मिसेज़ विवेका रॉय चौधरी और कई अन्य लोग शामिल रहे। इन्होंने देशभर के तमाम मरीज़ों के साथ बातचीत की, ताकि उनके विचार, सुझाव और चिंताओं को समझ सकें।

नारायण हेल्थ के चेयरमेन (Chairman) और एक्सीक्यूटिव डॉक्टर देवी शेट्टी ने कहा, “आज भारत (India) और दूसरे विकासशील देशों के आगे सबसे बड़ी समस्या यह है कि यहां आज़ादी के बाद से नागरिकों को टैक्स देने वालों के पैसे से हेल्थकेयर दिया जाता है। यह नज़रिया हेल्थकेयर की उपलब्धता (एक्सेसीबिलिटी)और क्वालिटी को सीमित करता है। इससे सारे नागरिकों को यूनिवर्सल हेल्थकेयर (universal healthcare) देने में काफी मुश्किलें आ रही हैं। हालांकि यह बात भी सच है कि भारत की ताकत उसके लोगों से ही है और हेल्थकेयर में सुधार से जुड़ी किसी भी स्ट्रेटेजी में काम करने वाली और मिडिल क्लास की ज़रूरतों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। भारत में यह क्षमता है कि वह अच्छे हेल्थकेयर को केवल अमीरों तक ही सीमित नहीं रहने दे। वह दुनिया का ऐसा पहला देश बन सकता है जहां सारे नागरिकों को बगैर उनकी आर्थिक क्षमता देखे हाई-क्वालिटी का हेल्थकेयर दिया जा सके। जिस तरह से हेल्थ इंश्योरेंस में सुधार हुए हैं और एक डायनमिक टीम आईआईआरडीएआई के रेग्युलेशन्स को देख रही है, ऐसे में यह बदलाव अगले पांच सालों के अंदर-अंदर हो जाना चाहिए।अगर भारत का हर व्यक्ति हेल्थ इंश्योरेंस ले सका, तो ऐसे लाखों लोग जो आज आउटपेशेंट केयर (बाह्य-रोगी देखभाल) का खर्चा नहीं उठा सकते, वह भी कस्टमर बन जाएगें, इससे भारत के हेल्थकेयर सिस्टम में काफी बदलाव आएगा। अफोर्डेबल और एक्सेसिबल (वहनीय और सुलभ) हेल्थकेयर की तरफ आए इस बदलाव की बदौलत दुनिया को यह पता चलेगा कि एक देश अगर बहुत अमीर नहीं भी है, तो इसका उसके नागरिकों को मिलने वाले शानदार हेल्थकेयर से कोई लेना-देना नहीं है।”

भारत सरकार के सेन्ट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइज़ेशन (Drugs Standard Control Organization) में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया डॉक्टर राजीव रघुवंशी ने कहा, “अगर पेशेंट्स डायरेक्ट रिपोर्टिंग करें, तो इससे फिल्टर हटेगा और बुरे सिचुएशन को लेकर असल फीडबैक मिल पाएगा, इससे हेल्थकेयर में जिस तरह की निगरानी रखी जा रही है, उसमें काफी सुधार आएगा। इस तरह का सही डाटा इस बात की साफ जानकारी देता है कि वास्तव में हो क्या रहा है, जिससे सही एक्शन लेने में मदद मिलती है। इसलिए, हर किसी के लिए यह ज़रूरी है कि वह इस तरह के कदम को प्रोत्साहन दे, फिर चाहे वह सीधे तौर पर हेल्थकेयर से जुड़ा हुआ हो या ना जुड़ा हो। मरीज़ों को क्या चाहिए, यह जानने के लिए उनकी आवाज़ का मज़बूत होना बहुत ज़रूरी है। यह पहल शुरु तो हो गई है, लेकिन अगर हमें इसे अगले लेवल तक ले जाना है और इसका असल फायदा उठाना है, तो इसे सफल बनाने के लिए हमें और ज़ोर लगाना होगा।”

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन, साउथ-ईस्ट एशिया रीजनल ऑफिस में प्रोग्राम मैनेजमेंट के डायरेक्टर डॉक्टर पेम नामग्याल ने आईपीयू एप का इनॉगरेशन करते हुए कहा, “आज की डिजिटल दुनिया में, इस्तेमाल के लिए कई तरह के टूल्स होना बहुत ज़रूरी है। आज लॉन्च किया गया पेशेंट्स यूनियन एप मरीज़ों की ज़रूरतों को पूरा करने की दिशा में एक बहुत ज़रूरी कदम है। इस दिशा में आगे बढ़ते रहने के लिए लगातार नई मांगों के हिसाब से खुद को ढालना और आज की इंटरनेट वाली दुनिया में नए एस्पेक्ट्स और उससे जुड़े इलेक्ट्ऱॉनिक वर्क को शामिल करते रहना बहुत ज़रूरी है। मुझे यह बात बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि क्योंकि आज के डिजिटल वर्ल्ड में किसी तरह की कोई बाउंडरी नहीं है, लिहाज़ा यह एप केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसकी पहुंच दुनियाभर में होगी। कुल मिलाकर, पेशेंट्स यूनियन एप एक ज़ोरदार पहल है और मैं इसमें शामिल टीम और डेवलपर्स को इसकी ज़ोरदार सफलता की कामना करते हुए बधाई देता हूं।”

डॉक्टर गुप्ता ने आगे कहा,” पेशेंट्स यूनियन (Patients Union) एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां पेशेंट्स यह सुनिश्चित करते हुए कि उनके नज़रिए का ध्यान रखा जा रहा है और उसकी इज्ज़त की जा रही है, हेल्थकेयर स्टेकहोल्डर्स के साथ मिलकर काम कर सकते हैं। हमारा उद्देश्य भारत के हेल्थकेयर डिलीवरी सिस्टम को ज्यादा असरदार, सक्षम, उचित और पेशेंट के लिए फायदेमंद बनाना है।”

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