अहिल्याबाई होलकर ने भारत को राष्ट्रीय एकता की कड़ी में जोड़ा – डॉ पाल
राष्ट्र प्रथम
नई दिल्ली: भारतीय इतिहास की अनमोल रतन लोकमाता देवी अहिल्या बाई होलकर ने अपने जीवन से नारी सशक्तीकरण का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने पूरे देश में जीर्ण शीर्ण और विदेशी आक्रांताओं द्वारा ध्वस्त किए जा चुके धार्मिक स्थलों और देवालयों का पुनर्निर्माण कराकर अपना नाम इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों में अमर कर लिया। देवी अहिल्याबाई होलकर भारत की पहली शासिका थीं, जिन्होंने विधवा महिलाओं के लिए अधिकार सुरक्षित किए। अपने 29 वर्ष के सफल शासन काल में समाज के सभी वर्गों के लोगों के जनकल्याण के लिए अप्रतिम कार्य किए। ” उक्त विचार संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य एवं नागरी लिपि परिषद के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल ने राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, उज्जैन द्वारा आयोजित लोकमाता अहिल्या बाई होलकर की 300 वीं जन्म जयंती आभासी समारोह की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए। संगोष्ठी का शुभारंभ श्रीमती अनीता गौतम की सरस्वती वंदना से हुआ। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के महामंत्री डॉ प्रभु चौधरी ने देश विदेश से जुड़े अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। नागरी लिपि की विशेषज्ञा डॉ रश्मि चौबे के कुशल संचालन में पुणे की श्रीमती श्वेता मिश्रा , नागदा के सुपरिचित कवि श्री सुंदरलाल जोशी, नांदेड़, महाराष्ट्र के सांइस कालेज की उपप्राचार्या डॉ अरुणा राजेन्द्र शुक्ल, सुपरिचित कवयित्री डॉ मीना परिहार, रायपुर छत्तीसगढ़ की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ जया सिंह, डॉ मुक्ता कौशिक, पटना बिहार की श्रीमती रजनी प्रभा, फ्लोरिडा अमेरिका से दक्षिण भारतीय हिंदी सेवी श्री एस अनंत कृष्णन, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक डॉ शैलेन्द्र कुमार शर्मा, श्रीमती अर्चना ने लोकमाता अहिल्या बाई होलकर के व्यक्तित्व एवं कृर्तत्व पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि के रूप में धनगर महासभा के अध्यक्ष श्री अजय पाल सिंह होलकर ने उद्बोधन प्रस्तुत किया। संगोष्ठी में लखनऊ के पूर्व लोकायुक्त श्री आर डी पाल,पटना के पत्रकार श्री सोनू कुमार, श्री गिरधर शर्मा, पुणे के शोधार्थी श्री जयवीर सिंह, जामनगर, गुजरात के शोधार्थी श्री राकेश कुमार डांगोदरा, श्रीमती अन्नपूर्णा श्रीवास्तव सहित अनेक बुद्धिजीवियों की उपस्थिति सराहनीय रही। धन्यवाद ज्ञापन राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के महामंत्री और संगोष्ठी के आयोजक डॉ प्रभु चौधरी ने प्रस्तुत किया।