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वस्त्रहरण

वो सभा धर्म की सारी थी, जहां लगी दाव पर नारी थी,
वो द्युत नहीं षड्यंत्र था ऐसा, जहां चरित्र पर वार किया,
भरी सभा के सामने एक नारी का अपमान किया
जब दुर्योधन ने बोला खींच कर लाओ, जंगा पर बिठाओ मेरी दासी को,
दुस्शासन निर्वस्त्र करो, उस पटरानी पांचाली को
जब घसीट के लाया दुस्शासन, द्रौपदी ने गुहार लगाई थी,
वो चिल्लाती कर्राती गई, पर किसी ने आवाज़ ना उठाई थी|
भरी सभा के पुरुष सभी, चलता दृश्य देख रहे थे,
पांचाली के वस्त्रो को जब, निर्दय कौरव खींच रहे थे |
भीम कहां थी गदा तुम्हारी, झुकी क्यों थी नज़रें तुम्हारी,
क्यों अर्जुन तुम थे मौन खड़े, उठाया क्यों नहीं गांडीव को, काटा क्यों नहीं मस्तक उसका जिसने नोचा द्रोपदी के बालों को |
शीश झुकाया सब देखते गए, जो वीर स्वयं को कहते थे,
द्रोन पितामां अर्जुन कर्ण मूर्ति बन सब बैठे थे |
दरबार में हुआ था कुकर्म कुछ ऐसा, द्रौपदी बेचारी रोती गई,
वह राज्य धर्म का राज्य ही कैसा, जहां मर्यादायें भंग होती गई |
रिश्तो को किया तार तार, हुआ शर्मसार यह संसार,
एक नारी के वस्त्र उतरते देखता रहा उसी का परिवार |
धर्म की सभा में था अधर्म हुआ, ना आवाज़ उठी थी, ना शास्त्र उठे,
ओ वीरों जो तुम बैठे थे मौन वहां, कैसे ना आई थी तुम्हें शर्म ज़रा |
समय पर आए कृष्णा थे, बचाया द्रौपदी की लाज को,
बचाया मान सम्मान उसका, वरना बचाता कौन उस नारी को |
दुर्योधन किया था दुष्कर्म तूने ऐसा, तेरे कुल के पतन का तू कारण,
कलयुग के पापियों का, तू ही तो है उदाहरण |
नारी का सम्मान करना, सीखा ना था पाखंडी तू,
एक नारी से हुआ था जन्म तेरा, क्यों भूल गया था घमंडी तू |
दुर्योधन तुझे देख मृत्यु भी कांपेगी, तेरी मृत्यु इतनी कातिल होगी,
तू भिक्षा मांगेगा मृत्यु की, पर मृत्यु तुझे ना हासिल होगी |
जब द्वापर में ये अत्याचार हुआ, सभी वीर बैठे थे मौन,
अब जब होगा कलयुग में ऐसा, तो यहां बचाने आएगा कौन |
दुर्योधन जैसे भेड़िया, फिर इतिहास दोहराएंगे,
उठाने होंगे शस्त्र हर नारी को, क्योंकि अब लाज बचाने गोविंद नहीं आएंगे |
Ambika
Class 9th
BPSKV School Deoli

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