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भारत में सभी क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए प्रूफ ऑफ रिज़र्व्स (PoR) अनिवार्य क्यों होना चाहिए

मोनिका शर्मा

नई दिल्ली : हाल के वर्षों में, एफटीएक्स जैसे बड़े एक्सचेंजों के बंद होने के बाद, क्रिप्टो एक्सचेंजों की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठे हैं। इन घटनाओं ने यह साबित किया कि वर्चुअल एसेट्स (क्रिप्टो) के लिए पारदर्शिता बेहद जरूरी है। भारत जैसे देश में, जहां स्पष्ट नियमों की गैरमाजूदगी के बावजूद, लाखों लोग क्रिप्टो का इस्तेमाल कर रहे हैं, यह चुनौती और भी बढ़ जाती है। इसी कड़ी में प्रूफ ऑफ रिज़र्व्स (PoR) एक ऐसा तरीका है, जिसे अब दुनिया भर में अपनाया जा रहा है। यह एक ऐसा सिस्टम है जो यह प्रमाणित करता है कि एक्सचेंजों के पास वास्तव में उतने एसेट्स हैं जितने वे दावा करते हैं, और उनके ग्राहकों की जमा राशियों से मेल खाते हैं।

प्रूफ ऑफ रिज़र्व्स एक क्रिप्टोग्राफिक टूल है जो यह सत्यापित करता है कि किसी प्लेटफॉर्म के पास उपयोगकर्ताओं की जमा राशि के अनुरूप पर्याप्त एसेट्स हैं या नहीं। मर्कल ट्री जैसी तकनीकों के जरिए, कोई भी एक्सचेंज बिना किसी ग्राहक की पहचान उजागर किए, इस बात का प्रमाण प्रस्तुत कर सकता है कि उसके पास मौजूद रिज़र्व्स कुल ग्राहक होल्डिंग्स के बराबर या अधिक हैं। सही तरीके से लागू किए जाने पर, PoR उपयोगकर्ताओं को यह जांचने की स्वतंत्र रूप से सुविधा देता है कि उनकी राशि सुरक्षित है और पूरी पारदर्शिता के साथ दर्ज है।

PoR न केवल निवेशकों को आश्वस्त करता है, बल्कि यह एक्सचेंज की वित्तीय स्थिति में भी पारदर्शिता बढ़ाता है। इससे बाजार में उतार-चढ़ाव के समय उपयोगकर्ताओं द्वारा घबराहट में निकासी की संभावना कम होती है। चूंकि PoR रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होती हैं, अगर कोई गड़बड़ी होती है तो यह आसानी से सामने आ जाती है, जिससे धोखाधड़ी और गलत प्रबंधन की संभावना घट जाती है।

भारतीय परिप्रेक्ष्य में, PoR को लागू करने की ज़रूरत और अधिक मजबूत हो जाती है क्योंकि देश में नियमन की स्थिति अभी भी विकासशील और अनिश्चित है। हालाँकि सरकार ने वर्चुअल एसेट सर्विस प्रोवाइडर्स को मनी लॉन्ड्रिंग रोधी दायरे में लाने के प्रयास किए हैं, लेकिन अभी तक किसी प्लेटफॉर्म के लिए पारदर्शी कस्टडी प्रथाएं अपनाना कानूनी रूप से अनिवार्य नहीं किया गया है। ऐसे में, जब तक एक व्यापक नियामक ढांचा तैयार नहीं हो जाता, सभी क्रिप्टो प्लेटफॉर्मों के लिए PoR रिपोर्ट सार्वजनिक करना अनिवार्य किया जाना अत्यंत आवश्यक है।

PoR को अनिवार्य बनाकर, प्लेटफॉर्म्स को यह साबित करने के लिए बाध्य किया जा सकता है कि वे ग्राहकों के फंड को सुरक्षित रख रहे हैं। इससे न केवल निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा, बल्कि यह क्रिप्टो क्षेत्र में पारदर्शिता और जिम्मेदारी को भी बढ़ावा देगा। यह कदम भारतीय सरकार को एक मजबूत, पारदर्शी और जिम्मेदार क्रिप्टो सेक्टर की दिशा में पहला बड़ा कदम बनाने का मौका देगा।

भारत में क्रिप्टो के भविष्य के लिए यह एक अहम मोड़ है। हालांकि, क्रिप्टो क्षेत्र में एक मजबूत कानूनी ढांचा अभी नहीं है, फिर भी PoR जैसे कदम से प्लेटफॉर्म की नैतिक जिम्मेदारी बढ़ाई जा सकती है। अगर सरकार PoR रिपोर्ट को अनिवार्य करती है, तो बिना नवाचार को रोके भारतीय निवेशकों के लिए एक सुरक्षित और भरोसेमंद वातावरण तैयार किया जा सकता है।

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