स्कूल में आज तुमने क्या पूछा?
स्कूल का तात्पर्य ईंट और कंक्रीट का बना भवन मात्र नहीं है वरन् यह बच्चों के लिए भावना,संवेदना,और आकार ले रहे कल्पनाओं के विकास का आश्रय स्थल है । स्कूल गतिविधियों का ऐसा केंद्र है जहां बच्चें अपने इच्छाओं को पूरा करते हैं। बच्चें अपनी जिज्ञासा को स्कूल में अभिव्यक्त करते हैं और उनका समाधान शिक्षकों के सहयोग से प्राप्त करते है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रख्यात शिक्षाविद् कमला वी.मुकुंदा ने इन्हीं विषयों पर आधारित अंग्रेजी में एक पुस्तक की रचना की जिसका हिंदी अनुवाद हम सभी के बीच मौजूद है।”
स्कूल में आज तुमने क्या पूछा ” शीर्षक से प्रकाशित यह पुस्तक शिक्षकों,छात्रों ,शिक्षाविदों और शिक्षा प्रेमियों के बीच काफी लोकप्रिय है।आम पाठक इस पुस्तक के माध्यम से शिक्षा के विविध दर्शन और आयाम से परिचित हो सकते हैं। वरिष्ठ और प्रख्यात शिक्षाविद् यशपाल ने इस पुस्तक की भूमिका को लिखते हुए उद्गार प्रकट किया है कि इस पुस्तक ने उनके मिथ्या ज्ञान , भ्रम और अहंकार को नष्ट कर दिया है और इस पुस्तक ने विश्व के समक्ष स्कूल से संबंधित कई नई अवधारणाओं को उद्घाटित किया है। चर्चित शैक्षिक संस्था, एकलव्य ,भोपाल, मध्यप्रदेश से प्रकाशित इस पुस्तक का हिंदी अनुवाद शिक्षाविद् पूर्वा याज्ञिक कुशवाहा ने किया है। आकर्षक आवरण चित्र कनक शशि और पुस्तक के अंदर प्रासंगिक रोचक चित्रों का अंकन चित्रकार राधिका नीलकांतन ने किया है जो अपने मूल विषय वस्तु को अभिव्यक्त करने और पाठकों को आकृष्ट करने में सक्षम है। शिक्षा के मनोवैज्ञानिक और दार्शनिक पक्ष को इस पुस्तक में अत्यंत सरलता और सजीवता से प्रस्तुत किया गया है ।पुस्तक पढ़ने के पश्चात पाठक विशेषकर शिक्षा प्रदाता और छात्र छात्राओं के मध्य नवाचार आच्छादित शैक्षिक वातावरण कायम हो सकेगा और यही इस पुस्तक का
प्रतिपाद्य है। इस पुस्तक को प्रत्येक पाठक,शिक्षाविद्,शिक्षा शोधकर्ता ,शिक्षक और विद्यार्थी के हृदय के समीप होना चाहिए तभी इसकी सार्थकता सिद्ध होगी।
सुधाकर कांत चक्रवर्ती